एक था राजा, एक थी रानी...
और इसके बाद हुई शुरू कहानी!
बात कई हज़ार साल पहले की है- तब जब कुछ भी ना था- ना मेट्रो, ना ट्रेन, ना बिजली, ना जहाज, ना देश! लेकिन समाज नया-नया बना था| समाज बनने से पहले सभी खुश थे, आराम से जी रहे थे, खा रहे थे, मौज में थे| समाज किसी ने बनाया नहीं था, वो खुद-ब-खुद बन गया था| कुछ तो ज़रूरत के कारण, और कुछ तो बस ऐसे ही! शौक था सभी को कि कुछ अलग होना चाहिए| भाषा नयी-नयी बनी थी| अब इंसान बातचीत करने लगे थे| सभी बहुत खुश थे| लोगों को खोज-खोज कर बातें करते| एक ही बात दुहराते, और खुश हो जाते| संगीत और कविता ने भी जन्म लिया| सभी को अब बहुत कुछ मिल गया था करने को|
एक इंसान था जो थोड़ा सा अलग था| क्योंकि समाज बनने की शुरूआती ज़रूरत नाम थी, उसका भी एक नाम था- सरछु| सरछु का रंग गेहुआं और कद काठी उस समय के औसत से थोड़ा ज्यादा| वो सोचता बहुत था| उसे ये बात मालूम चली थी कि समाज बनते ही लोग अचानक से बेवकूफ हो गए हैं| सभी ज़रूरत से ज्यादा अलग चीज़ें करना चाहते हैं| उसे ये सब बहुत फूहड़ लगने लगा|
उन्ही दिनों कुछ लोगों ने मिलकर भगवान को खोजा था| वो सभी बेहद खोजी लोग थे| दिन भर अकेले बैठा करते और शाम तक कुछ ना कुछ खोज लेते| समाज वालों को आश्चर्य हुआ और कुछ भी समझ नहीं आया| जब दो-तीन लोगों ने खोजी प्रजाति से कहा कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि ये सब क्या है, तो खोजी प्रजाति ने समझाया कि इन बातों को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है| बस वही समझ सकता है जो भगवान का करीबी हो| सरछु ने इस बारे में भी सोचा, और समझ गया कि ये एक नया गोरख धंधा है| वो सोचता बहुत था, बोलता बहुत कम|
बात तब की है जब सरछु सभी चीज़ों से- समाज से, भाषा से, भगवान से- तंग आकार दूर निकल पड़ा| सरछु अकेला ही नदी को पार करके एक खोज पर निकल पड़ा| उसकी खोज क्या थी, वो भी नहीं जानता था| बस जानता था कि सभी चीज़ों से दूर जाकर उसे कुछ ना कुछ मिल जाएगा| वो चलता गया, चलता गया, चलता गया...
और एक दिन वो थक गया| उसे पता भी नहीं चला कि वो कितने दिनों से चल रहा है| पानी में देखा तो उसके बाल सफ़ेद हो गए थे| जब अंतिम बार देखा था तो वो काले थे| इस बात से उसने अंदाजा लगाया कि वो कई दिनों से चल रहा है| अब जब वो थक चुका था उसे कुछ समझ नहीं आया कि वो क्या करे| वो बैठा-बैठा सोचने लगा| कई दिनों में पहली बार उसे अपने समाज की याद आई| उसे वहाँ के बेवकूफ लेकिन बहुत ही मासूम लोग याद आने लगे| उसे अपना घर भी याद आने लगा| उसे सब कुछ इतना ज्यादा याद आने लगा कि वो रोने लगा| वो अपने जीवन में पहली बार कुछ भी याद करके रोया था| वो समझ गया कि समाज उसके अंदर बस गया है और वो समाज से दूर नहीं रह सकता| क्योंकि भाषा उसे आती थी, शब्द उसने सीख लिए थे, उसे इंसानों से बात करनी थी| वो वापस लौट चला| वो चलता गया, चलता गया, चलता गया...
और एक दिन वापस अपने समाज में पहुँच गया| अब उसे कुछ भी अजीब नहीं लगा रहा था| सबकुछ अच्छा लगने लगा| लेकिन कोई उसे पहचानता नहीं था| उसने लोगों को बताया कि वो सरछु है| किसी को याद ही नहीं आया कि सरछु कौन था| खैर लोगों ने उसे बोला कि अब आ गए हो तो यहीं रहो|
लेकिन सरछु अब सिर्फ सोचता नहीं था| उसे अब कुछ करना भी था| वो खोजी लोगों को खोजने लगा| उसे पता था कि खोजी बहुत ही काम के हैं| असल में खोजी लोग ही थे जो समाज को चला रहे थे और अपना भरण-पोषण कर रहे थे| सरछु ने एक खोजी से मुलाक़ात की और कहा कि वो कुछ ऐसा करना चाहता है जिससे समाज का आकार और विस्तार बदल जाएगा| खोजी को पहले तो लगा कि सरछु खोजी और खोजी समुदाय के लिए खतरा हो सकता है| लेकिन जब सरछु ने पूरी बात बताई तो खोजी बहुत खुश हुआ| वो सरछु का मुरीद हो चुका था|
अगले दिन खोजी एक ढिंढोरा लेकर समाज में निकला| वो ढिंढोरा पीट-पीट कर लोगों को एक जगह जमा करने लगा| सभी लोग आश्चर्य में इकट्ठा होने लगे| जब समाज के सभी लोग इकट्ठा हो गए थे, तब खोजी ने बोलना शुरू किया, “आप सभी लोगों को बताना चाहूँगा कि कल रात मेरी बात भगवान से हुई, और उन्होंने मुझे आप सभी लोगों को ये बतलाने को कहा कि इस समाज का एक मुखिया भी होना चाहिए| मुखिया की ज़रूरत इसलिए है कि बाहर एक और समाज बन रहा है, और वहाँ के लोग बहुत खराब हैं- आप सभी की तरह अच्छे नहीं हैं| वो आपको मार भी सकते हैं| भगवान ने कहा है कि सरछु, जो हम सभी में से इकलौता इंसान है जो समाज के बाहर भी गया है, वही हम सभी का मुखिया होगा| और अब से ये राजा कहलायेगा| इस राजा के लिए रानी भी चाहिए होगी| तुम.... हाँ तुम इधर आओ!” खोजी भीड़ में खड़ी एक नवयुवती को बुलाने लगा| नवयुवती डरी-सहमी खोजी के पास गयी| खोजी ने फिर से कहना शुरू किया, “ये लड़की आज से हमारे समाज की रानी होगी|”
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राजा रवि वर्मा की पेंटिंग "राजा-रानी" |
सभी लोग बहुत खुश हुए| ये उनके लिए बिल्कुल ही नया अनुभव था| राजा और रानी शब्द उन्होंने पहली बार सुना था| वो सभी इतने खुश हुए कि पागल हो गए| सरछु अब उनका राजा था| नवयुवती उनकी रानी...
और दुनिया को पहला राजा और पहली रानी मिल गए|
एक था राजा, एक थी रानी...
और इसके बाद हुई शुरू कहानी!
-14.1.14
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